हिन्दुस्तानी संगीत में रागांग - एक अध्ययन

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Title

हिन्दुस्तानी संगीत में रागांग - एक अध्ययन
Hindustānī Saṅgīt mēṅ Rāgāṅga - ēk adhyayana

Publisher

The Department of Indian Music
School of Fine & Performing Arts
University of Madras, Chepauk
Chennai, Tamil Nadu, India - 600 005

Date

December 2022

Format

Portable Document Format

Language

Hindi

Type

Article

Alternative Title

Hindustani Sangit mein Raganga - Ek Adhyayan

Abstract

हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में रागांग के अध्ययन के बिना रागों के प्रकारों पर पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना सम्भव नही है। वर्तमान संगीत में थाट पद्धति के साथ-साथ रागांग पद्धति को भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है। रागांग का अर्थ है रागवाचक स्वर समूह। रागांग दो शब्दों के मेल से बना है राग एवं अंग अर्थात्‌ राग का एक स्वर-समूह जो विशेष रूप से दृष्टिगत होता है। मेरे इस शोध प्रपत्र को प्रस्तुत करने का उद्देश्य है रागांग पद्धति का ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन। प्रस्तुत शोध प्रपत्र में तथ्यों के संकलन हेतु द्वितीयक स्त्रोत जैसे-पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं एवं ग्रंथों इत्यादि के माध्यम से प्राप्त जानकारियों को सम्मिलित किया गया है। इस शोध प्रपत्र को प्रस्तुत करने के फलस्वरूप हमें यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि प्राचीनकाल के ग्रंथकारों से लेकर आधुनिक ग्रंथकारों यानि मतंग, शारंगदेव, लोचन, कल्लिनाथ, अहोबल, भावभट्ट, श्रीनिवास, के.डी. बैनर्जी, फकीरूल्ला , भातखंडे, रातंजनकर, नारायण मोरेश्वर खरे, तुलसीराम देवांगन इत्यादि ग्रंथकारों ने किस प्रकार रागांग का अर्थ समझाते हुए उसकी महत्वत्ता को स्थापित किया एवं रागांग पद्धति को प्रमुख स्थान प्रदान किया।

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4.हिन्दुस्तानी संगीत में रागांग - एक अध्ययन.docx.pdf

Citation

प्रो. अनुपम महाजन, अमनदीप कौर, “हिन्दुस्तानी संगीत में रागांग - एक अध्ययन,” Smṛti - A Bi-Annual Peer Reviewed Journal on Fine & Performing Arts , accessed April 27, 2024, https://smrti.omeka.net/items/show/44.