मराठी नाट्य संगीत मे पं. जितेन्द्र अभिषेकी जी का योगदान

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Title

मराठी नाट्य संगीत मे पं. जितेन्द्र अभिषेकी जी का योगदान
Marāṭhī Nāṭya Saṅgīt mē Paṅ. Jitēndra Abhiṣēkī Jī kā Yōgdān

Publisher

The Department of Indian Music
School of Fine & Performing Arts
University of Madras, Chepauk
Chennai, Tamil Nadu, India - 600 005

Date

December 2022

Format

Portable Document Format

Language

Hindi

Type

Article

Alternative Title

Marathi Natya Sangit Mein Pt. Jitendra Abhisheki Ji Ka Yogdan

Abstract

नाट्य संगीत के श्रेत्र में पं. जितेन्द्र अभिषेकी जी का अमूल्य योगदान है। उन्होंने अपनी नवीन सोच, रचनात्मक वृत्ति व ज्ञान से मराठी थिएटर में एक नई ऊर्जा का संचार किया था। और यही कारण के उनके काल को नाट्य संगीत जगत में ‘अभिषेकी युग’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने लगभग 20 मराठी नाटकों के लिए गीतों की रचनाएँ की अर्थात लगभग 150 गीत। महान नाटककार पुरुषोत्तम दरवेकर द्वारा रचित सुप्रसिद्ध नाटक ‘कट्यार कालेजात घुसली’ का संगीत निर्देशन भी पं. जितेन्द्र अभिषेकी जी ने ही किया। जो कि विशेष रूप से दो सांगीतिक घरानों की सांगीतिक प्रतिस्पर्द्धा पर आधारित था। पं. जी ने भारतीय संगीत की विविध शैलियों का प्रयोग भी नाट्य संगीत में बखूबी किया। जेसे ‘गुंतता हृदया’ में दादरा शैली के तत्वों का प्रयोग किया। जो मूल रूप से बृज भाषा में था। इसके अतिरिक्त पंडित जी का नाटक ‘लेकूरे उद्दंड झाली’ एक नवीन प्रायोगिक कृति है जिसमें उन्होंने यूरोपियन ओपेरा के तत्वों का इस्तेमाल किया। पं. जितेन्द्र अभिषेकी ने 60 के दशक में पाँच से दस मिनट के छोटे सांगीतिक रचनाएँ नाट्य संगीत में की, जो कि एक नया तथा एक आवश्यक कदम था नाट्य संगीत में उस समय। क्योंकि उस समय की रचनाएँ लम्बी अवधि की हुआ करती थी। जिसकी  वजह से बहुत से लोग समय के अभाव के कारण उनसे वंचित रह जाते थे। उन्होंने मराठी नाटक में स्पष्ट उच्चारण पर बहुत जोर दिया। इसके अतिरिक्त वह विविध ताल विशिष्टताओं ऑफ-बीट, आफ्टर बीट इत्यादि के साथ लय व ताल का प्रयोग करते थे। जो राग नाट्य संगीत में प्रयुक्त नहीं हुए थे उनमें से कुछ रागों को वे बड़े ही सुंदर ढंग से प्रयोग में लाए। जिसका एक सबसे बड़ा उदाहरण राग बिहागड़ा का है। जिसे नाट्यसंगीत में उनसे पहले किसी ने भी प्रयुक्त नहीं किया। किन्तु अभिषेकी जी ने बड़ी ही सुंदरता से इस राग के रूप को नाट्यसंगीत में प्रयोग किया।

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Citation

डॉ.शालिनी ठाकुर, दीपक सिंह, “मराठी नाट्य संगीत मे पं. जितेन्द्र अभिषेकी जी का योगदान,” Smṛti - A Bi-Annual Peer Reviewed Journal on Fine & Performing Arts , accessed April 27, 2024, https://smrti.omeka.net/items/show/45.